एक, बचपन में, पढ़ाई के साथ ठेले पर पिताजी के साथ कचौरी और समोसे बनाकर बेचता था, दूसरा घरों में काम करता था। एक अपने पिताजी से खाना बनाना सीख रहा था, दूसरा घरों में काम करते हुए औरतों से। दोनो ने अपने रास्ते खुद बनाने की ठानी। दोनां ने साथ में और अलग-अलग देशभर में यात्राएं की। अपने जुनून की खोज में एक ने जड़ी-बूटी से इलाज, कबाड़ से जुगाड़ जैसी चीज़े करके देखीं, तो दूसरे ने नाटक और खेती करना सीखा। अंत में उन्हानें अपने जुनून को खोजा अपने बचपन में, खाना बनाने में, जिसे वे बचपन से करते आये थे। यह कहानी हैं सन्नी और मनोज की।…